Loksabha Election 2024: राजस्थान की आधी सीटों पर भाजपा आश्वस्त, इन सीटों पर मिल रही है चुनौती

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राजस्थान में शेष 13 सीटों पर दूसरे चरण में शुक्रवार को वोटिंग होनी है। इसमें लोकसभा अध्यक्ष, दो केंद्रीय मंत्रियों के अलावा दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों के भविष्य भी दांव पर लगे हैं। दूसरे चरण के साथ ही प्रदेश की सभी 25 सीटों के लिए मतदान का काम पूरा हो जाएगा। जानकारों की मानें तो प्रदेश की एक दर्जन सीटों को लेकर भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त है, जबकि 13 सीटों पर कांटे के मुकाबले की स्थिति है।

इन सीटों को लेकर भाजपा आश्वस्त

इनमें अधिकांश सीटे वे हैं, जहां भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीती थी। इनमें से नौ सीटों पर दूसरे चरण में चुनाव हो रहे हैं। पार्टी जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, उदयपुर, चित्तौड़, राजसमंद, भीलवाड़ा, अलवर, झालावाड़, पाली, जालोर में अपनी स्थिति को मजबूत मान रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भीलवाड़ा सीट 6 लाख 11 हजार, चित्तौड़ 5 लाख 76 हजार, राजसमंद 5 लाख 51 हजार, पाली 4 लाख 81 हजार, झालावाड़ 4 लाख 53 हजार, उदयपुर 4 लाख 37  हजार और अजमेर 4 लाख 16 वोटों के अंतर से जीती थी।

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इन सीटों पर कड़ा मुकाबला

प्रदेश की 13 सीटें ऐसी हैं, जहां कहा जा सकता है, कि मुकाबला एकतरफा नहीं है। इनमें 9 सीटों पर कांग्रेस सीधे चुनौती दे रही है, तो तीन पर गठबंधन के कारण मुकाबला रोचक बन गया है, जबकि एक सीट पर दमदार निर्दलीय ने चुनौती दे रखी है। कांग्रेस ने चूरू, झुंझुनूं, दौसा, करौली-धौलपुर, भरतपुर, टोंक, गंगानगर, कोटा, जयपुर ग्रामीण में मुकाबले को दिलचस्प बना रखा है। डूंगरपुर-बांसवाड़ा में बीएपी के राजकुमार रोत, नागौर में इंडिया गठबंधन के आरएलपी उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल और सीकर में सीपीएम उम्मीदवार अमराराम ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं जबकि बाड़मेर- जैसलमेर सीट पर शिव विधायक और निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र भाटी ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के पसीने छुड़ा रखे हैं।

मोदी का नाम बनाम जातीय समीकरण

वैसे तो भाजपा ने पिछले दो चुनावों में कांग्रेस को शून्य पर ही रोक रखा, लेकिन इस बार हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के आधार पर और कुछ सीटों पर जातिगत समीकणों में कांग्रेस के प्रत्याशी कमतर नजर नहीं आते हैं। हांलाकि दोनों ही स्थितियां लोकसभा चुनाव के संदर्भ में कितना टिकेंगी यह तो नतीजे ही बताएंगे, क्योंकि चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली की सरकार के नाम पर हो रहा है। लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के काम बड़ा मुद्दा हैं, जिन पर वोटर समर्थन कर रहे हैं। राम मंदिर पर वोटर उतना मुखर नहीं हैं, लेकिन श्रेय मोदी को देता है। इनके अलावा कई सीटों पर जातिवाद मुद्दा है। स्थानीय मुद्दों की चर्चाएं हैं, पर असर कम ही है।

इन सीटों पर भाजपा को मिल रही है चुनौती

दौसा- भाजपा के कन्हैया लाल मीणा और कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा में कांटे की टक्कर है। मतदान कम होने से सीट फंसी हुई है। कम मतदान से हार और जीत के अंतर में कमी आएगी। मीणा बाहुल्य इलाकों में भी कम मतदान होने से समीकरण गडबड़ाए हुए हैं।

सीकर- भाजपा के स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को इंडिया गठबंधन से माकपा प्रत्याशी कामरेड अमराराम चुनौती दे रहे हैं। सीकर के शहरी क्षेत्र के बजाय ग्रामीण क्षेत्र में इस बार मतदान कम हुआ है। भाजपा कार्यकर्ताओं की कम सक्रियता के चलते मतदान का प्रतिशत कम रहा। इससे भाजपा को नुकसान हो सकता है।

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भरतपुर- कांग्रेस की संजना जाटव भाजपा के रामस्वरूप कोली को कड़ी चुनौती दे रही हैं। कम वोटिंग और जाट आरक्षण का असर कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ा रहा है।

चूरू- जाट बहुल इस सीट पर कांग्रेस के राहुल कस्वां और भाजपा के देवेंद्र झाझड़िया दोनों जाट हैं। फिर भी जाट वोट राहुल कस्वां के पक्ष में दिखते हैं, क्योंकि यह चुनाव राहुल कस्वां बनाम देवेंद्र झाझड़िया की बजाय, राहुल कस्वां बनाम राजेन्द्र राठौड़ रहा है।

करौली-धौलपुर- भाजपा की इंदु देवी जाटव को कांग्रेस के भजनलाल जाटव कड़ी चुनौती दे रहे हैं। जातिगत आंकड़े की बात की जाए तो भाजपा, कांग्रेस एवं बहुजन समाज पार्टी तीनों दलों से जाटव प्रत्याशी मैदान में रहे हैं। इनमें कांग्रेस का पलड़ा भारी माना जा रहा है। जाटव, मीणा एवं मुस्लिम समाज का मतदान अधिकांश कांग्रेस के पक्ष में गया है।

गंगानगर लोकसभा (सुरक्षित)- भाजपा की प्रियंका बेलान और कांग्रेस के कुलदीप इंदौरा के बीच कड़ा मुकाबला है। सिख बाहुल्य क्षेत्र होने से किसानों की भाजपा से नाराजगी है। भाजपा ने पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, जिसकी अरोड़ा समाज में शादी होने की वजह से अनुसूचित जाति का मूल वोटर भाजपा से दूरी बनाए हुए है। वहीं युवा वोटर बेरोजगारी से परेशान होने के चलते भाजपा से नाराज नजर आ रहा है।

बाड़मेर-जैसलमेर- प्रदेश की इकलौती सीट जहां त्रिकोणीय मुकाबला है। निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और कांग्रेसी उम्मीदवार उम्मेदा राम बेनीवाल को कड़ी चुनाती दे रखी है। यहां जातिवाद भी बड़ा मुद्दा है और धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश भी की जा रही है। रविंद्र सिंह मूल ओबीसी, राजपूत, जनरल और मुस्लिम वोट के बड़े हिस्से के साथ मैदान में है।

टोंक-सवाई माधोपुर- भाजपा के सुखवीर सिंह जौनापुरिया की राह में, कांग्रेस के हरिश्चंद्र मीना रोड़ा बने हुए हैं। विकास की दौड़ में पिछड़े दोनों जिलों में जातिगत समीकण भारी हैं। सबसे बड़ी जाति मीणा के 3.50 लाख वोट हैं, तीन लाख के साथ दूसरे नम्बर पर गुर्जर है, इसके बाद मुस्लिम व एससी वर्ग की जातियां हैं। भाजपा सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया के खिलाफ 10 साल की एंटी इनकंबेंसी और किरोड़ी लाल मीणा के भाई को भाजपा से टिकट नहीं मिलने से, भाजपा की मुश्किल बढ़ी हुई है।

बांसवाड़ा-डूंगरपुर- यहां तकनीकि रूप से त्रिकोणीय मुकाबला है। कांग्रेस से निकाले गए अरविंद डामोर कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। वैसे मुकाबला भाजपा के महेंद्रजीत सिंह मालवीय और भारतीय आदिवासी पार्टी के  राजकुमार रोत के बीच ही है। 70 प्रतिशत आदिवासी वोट वाली इस सीट पर ऊंठ किस करवट बैठेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। कांग्रेस प्रत्याशी को मिलने वाले वोटों से भाजपा को मदद की उम्मीद है।

नागौर- इस जाट बहुल सीट पर समीकरण बहुत उलझे हुए हैं। आरएलपी के हनुमान बेनीवाल और भाजपा की ज्योति मिर्धा में से कौन इक्कीस साबित होगा, कहा नहीं जा सकता। यहां वोटिंग कम हुई है। इसका दोनों दल आकलन करने में जुटे हैं। दोनों दलों को भीतरघात का भी खतरा है।

कोटा-बूंदी- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भाजपा को प्रहलाद गुंजल कड़ी चुनौती दे रहे हैं। सीट के नतीजे को लेकर भाजपाई भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।

झुंझुनूं- पूर्व मंत्री बृजेंद्र ओला भाजपा के शुभकरण चौधरी के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। दोनों ही जाट समाज से हैं, फिर भी कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह ओला के पास अपने पिता और दिग्गज नेता रहे स्व. शीशराम ओला की विरासत है।

जयपुर ग्रामीण- माना जा रहा है कि कांग्रेस के अनिल चोपड़ा भाजपा के राव राजेंद्र सिंह के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे। हांलाकि जाट, गुर्जर अहीर बेल्ट में वोटिंग कम होने से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। कम वोटिंग और जातिवाद से मामला उलझा हुआ है, फिर भी भाजपा को मोदी और राम मंदिर से उम्मीद है।

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