LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT: अरुण गोविल की जीत से आएगा राम राज्य? मोदी क्यों करते हैं चुनाव प्रचार मेरठ से शुरू? मेरठ सीट का इतिहास…

LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT

LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT: मेरठ। उत्तर प्रदेश की मेरठ सीट का जिक्र अभी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि वहाँ से भाजपा के उम्मीदवार अरुण गोविल ने चुनावी शुरुआत करने की ठानी है। राम को सबसे पहले रखने वाली भाजपा ने मंदिर तो बनवाया ही, साथ ही टीवी पर राम का किरदार निभाने (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) वाले और पूरे देश में प्रसिद्ध होने वाले अरुण गोविल को भी मेरठ में टिकट दिया। इसके बाद से सियासी चर्चाएँ और सियासती उठापटक भी तेज़ हो गयी है।

कौन है अरुण गोविल?

भाजपा के मेरठ से उम्मीदवार अरुण गोविल को वैसे तो कौन नहीं जनता होगा? 90 के दशक (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) के सबसे मशहूर धारावाहिक और धर्म की ध्वजा लिए डीडी नेशनल पर आने वाला नाटक रामायण के प्रमुख किरदार अरुण गोविल। अरुण गोविल ने राम का किरदार निभाया और देश भर में नाम, सम्मान कमाया। पिछले कुछ दिनों से राम मंदिर पर टीवी डिबेट में शामिल होने पर फिर से चर्चा का विषय बने अरुण गोविल को लेकर सुगबुगाहट चल रही थी कि वो राजनीति में आ सकते हैं। ऐसा हुआ भी। भाजपा के ही बैनर पर अब वो मेरठ में चुनावी युद्ध लड़ने के लिए तैयार है।

धार्मिक भावनाओं से जुड़े हैं अरुल गोविल

90 के दशक में रमानन्द सागर के रामायण धारावाहिक में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल के जनता (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) के बीच छवि बहुत साफ और सम्माननीय है। राम को सर्व हृदय सम्राट और देश की आस्था का पुंज मान कर देखा जाता है। उसी तरह से अरुण गोविल नए जमाने के राम हैं। अरुण गोविल को 90 के दशक के लोग उसी नज़र से देखते हैं। इस बार भाजपा ने राम मंदिर का मुद्दा तो चुनाव में रखा ही है साथ ही राम को भी यानि अरुण गोविल को भी चुनाव में उत्तरप्रदेश कि ही मेरठ सीट से उतारा है।

मोदी का मेरठ से क्या नाता?

देश के प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव का प्रमुख चेहरा नरेंद्र मोदी का मेरठ (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) से विशेष नाता है। अब इसे संयोग इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि हर बार ही इसी तरह का कार्यक्रम बनाया जाता है कि नरेंद्र मोदी जब भी लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार की शुरुआत करते हैं तो सबसे पहली रैली मेरठ में ही करते हैं। ऐसा एक बार नहीं, लगभग हर बार करते हैं। साल 2019 के चुनाव में, साल 2014 के चुनाव में और अब 2024 के चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी शंखनाद मेरठ में ही फूंकने वाले हैं।

प्रधानमंत्री की मेरठ में 31 मार्च को रैली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भी लोकसभा चुनाव 2024 में प्रचार की शुरुआत भी मेरठ से ही करने वाले हैं। इसी को लेकर मेरठ (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) में तैयारियां पूरी कर ली गयी है। हर चुनावी प्रचार की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरठ से ही करते हैं परंतु इस बार ये इसलिए भी खास है क्योंकि राम मंदिर बनने के बाद ये पहला दौरा है। एक और महत्वपूर्ण बात ये कि इस बार राम यानि अरुण गोविल के लिए प्रचार करने जा रहे हैं। ये कॉम्बिनेशन भी इस बार की रैली को रोचक बनाती है।

मेरठ लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास

1952 से ही लोकसभा सीट मेरठ में सबसे पहले काँग्रेस ने ही राज किया और ये 10 साल तक रहा। इसके बाद 1962 के बाद सोशलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की। 1971 के बाद काँग्रेस ने फिर से अपना दबदबा इस क्षेत्र में बनाया और जीत के साथ 7 साल रही। मेरठ लोकसभा सीट पर जनता पार्टी, बसपा और भाजपा ने भी अलग अलग समय काँग्रेस को मात देते हुए कब्जा किया। पहले भाजपा ने 1991 से 1999 तक जीत का परचम लहराया इसके बाद 2009 से लेकर अभी तक भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की है।

2014 में भाजपा ने हराया शाहिद अखलाख को

उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट मेरठ से 2014 में भाजपा ने ही जीत दर्ज की। तब सामने मुख्य प्रतिद्वंदी बीएसपी के शाहिद अखलाख थे। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राजेंद्र अग्रवाल चुनावी मैदान में थे। राजेंद्र अग्रवाल को इस चुनाव में जनता ने 5 लाख 32 हज़ार 981 वोट दिये थे। दूसरी तरफ बीएसपी के शाहिद अखलाख को कुल 3 लाख 655 वोट ही मिले। 2 लाख से ज्यादा वोटों से बड़ी जीत भाजपा ने दर्ज की।

2019 के चुनावी परिणाम

मेरठ की लोकसभा सीट पर 2019 में भाजपा के ही प्रत्याशी और तत्कालीन सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने ही जीत (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) दर्ज की। हालांकि बसपा ने इस बार प्रयाशी को बदल दिया था। 2014 में बसपा के प्रत्याशी शाहिद अखलाख थे, जबकि 2019 के आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने फिर से मुस्लिम प्रयाशी तो उतारा परंतु अखालख का टिकट काट कर हाजी मोहम्मद याकुब को टिकट दिया। 2014 के चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल ने 2 लाख से भी ज्यादा की बढ़त से जीत दर्ज की थी। परंतु साल 2019 में जीत का अंतर महज़ 4729 मतों का ही रह गया था। 5 लाख 86 हज़ार 184 वोट तो अग्रवाल को मिले वहीं हाजी मोहम्म्द याकुब को 5 लाख 81 हज़ार 455 वोट मिले थे।

2024 के चुनाव में क्या बदलने वाला है?

साल 2024 में होने वाले आम चुनाव यानि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तो अरुण गोविल को टिकट दिया ही है परंतु दूसरी तरफ INDIA गठबंधन में बसपा के हिस्से आई सीट पर दलित चेहरा उतार कर रिवायत बदली है। पहले चुनावों में बसपा ने मुस्लिम कैंडिडैट ही उतारे थे। इस बार चुनावी मैदान में बसपा और INDIA गठबंधन की तरफ से देवव्रत त्यागी को टिकट दिया है। हालांकि देवव्रत त्यागी स्थानीय प्रमुख उद्योगपति हैं। दवा व्यापारी को टिकट देकर बसपा ने स्थानीय जनता के लिए विश्वास जीतने का प्रयास किया है। सपा ने इसी सीट पर वकील भानु प्रताप सिंह को उतारा है।

इस बार सभी प्रत्याशी बाहरी?

ये बात तो सच है कि इस बार सभी प्रमुख दलों के प्रयाशियों की बात की जाए तो सभी दलों के उम्मीदवारों में से एक भी प्रत्याशी स्थानीय नहीं है। सपा, बसपा और भाजपा में से कोई भी प्रयाशी स्थानीय व्यक्ति नहीं है। बुलंदशहर के रहें वाले सपा के प्रयाशी भानु प्रताप सिंह और बसपा के उम्मीदवार भी बुलंदशहर (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) के ही रहने वाले हैं। अगर बात अरुण गोविल की कि जाए तो वो मूलतः तो मेरठ से ही आते हैं जहां उनका जन्म हुआ और शुरुआती पढ़ाई भी मेरठ में हुई। परंतु अभी वो मुंबई के रहने वाले हो गए हैं। इस हिसाब से तीनों उम्मीदवार ही वर्तमान में स्थानीय मेरठ के नहीं है।

तीनों दलों ने क्यों चुने नए चेहरे?

मेरठ लोकसभा सीट  पर तीन प्रमुख दलों ने नए चेहरों को ही चुनावी मैदान की कमान संभलवाई है। अरुण गोविल का तो राजनीति में ही पहला दौर है। वहीं उद्योगपति और बसपा की टिकट से उम्मीदवार देवव्रत त्यागी भी पहला ही चुनाव लड़ रहे हैं। पेशे से वकील भानु प्रताप सिंह दलित परिपेक्ष से आते हैं। वकालत में अच्छा रौब है इसी के चलते सपा ने अपनी टिकट पर मैदान में उतारा है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो नए चेहरों पर कई बार जनता विश्वास दिखा देती हैं। परंतु इस बार तो तीनों ही दलों के पास नए चेहरे हैं। बस भाजपा के पास ये सकारात्मक पक्ष है कि अरुण गोविल को राष्ट्रीय पहचान मिली हुई है। इसका फाइदा भाजपा को मिलने के पूरे कयास लगाए जा सकते हैं।

आंकड़े क्या कहते हैं?

2019 के चुनावी आंकड़ों को देखा जाए तो उस समय कुल मतदाता 18 लाख 92 हज़ार 931 थे। कुल मतदान का 64 प्रतिशत हिस्सा भाजपा के पास गया था। हालांकि भाजपा के बास फिर भी जीत का बड़ा मार्जिन नहीं था। कुल पुरुष मतदाता 10 लाख 33 हज़ार 535 और महिला मतदाता 8 लाख 59 हज़ार 263 थी। जनसंख्या के हिसाब (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) से कुल मतदान 61.45 प्रतिशत ही हुआ था। इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जागरूकता बधाई गयी है। अगर मतदान प्रतिशत बढ़ता है तो पुराने इतिहास के हिसाब से भाजपा को ही लाभ मिलता नज़र आता है।

भाजपा राष्ट्रीय दल से गठबंधन का भाजपा को लाभ

भाजपा गठबंधन में के साथ चुनावी मैदान में है। जिसका प्रमुख फाइदा भाजपा को ही मिलता नजर आता है। पहला फैक्टर अरुण गोविल दूसरा प्रमुख फैक्टर रालोद। रालोद का स्थानीय जनता के साथ अच्छा व्यवहार और संपर्क है। जाट बाहुल्य इलाका और उस पर रालोद का साथ भाजपा के लिए इस जीत की राह आसान ही बना रहा है। जाट बाहुल्य इलाका होने की वजह से रालोद के वोट भाजपा को आसानी से ट्रांसफर हो जाएंगे।

साल 2019 के चुनावी आंकड़े
  • कुल निर्वाचक 18,92,931
  • कुल वोट 12,16,413
  • वोट प्रतिशत 64.261
  • कुल चुनाव कैंडिडेट 11
  • कुल पुरुष निर्वाचक 8,59,263
  • कुल महिला निर्वाचक 10,33,535
  • थर्ड जेंडर निर्वाचक 133
  • कुल पुरुष वोटर 6,73,088
  • कुल महिला वोटर 5,38,984
  • थर्ड जेंडर वोटर 4
  • कुल पुरुष उम्मीदवार 9
  • कुल महिला उम्मीदवार 2
जातीय समीकरण से सधेगा वोटर?

543 लोकसभा सीटों में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से हर सीट मायने रखती है। वैसे देखा जाए तो सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही जाता है। यहाँ बहुमत आ गया तो सत्ता तक पहुँचने का बहुत बड़ा पायदान पार किया समझो. मेरठ सामान्य सीट है परंतु सपा और बसपा ने दलित चेहरे उतारे हैं। 3 लाख 66 हज़ार से अधिक मतदाता एस सी के हैं। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार ये आंकड़ा एस सी के 19 प्रतिशत से भी अधिक है। मेरठ में शहरी मतदाता ज्यादा है। मेरठ की जनसंख्या (LOKSABHA ELECTION2024 MEERUT SEAT) के हिसाब से लगभग 71 प्रतिशत जनता शहर में बसती है। 71 प्रतिशत मतदातों की बात की जा रही है। ये मुख्यतः हिन्दू बाहुल्य इलाका है, जिसमें भी जाट ज्यादा हैं। वैसे इस सीट पर जाट, राजपूत, ब्राह्मण, यादव भी हैं। 65 प्रतिशत हिन्दू और लगभग 35 प्रतिशत मुस्लिम लोग रहते हैं। निर्णायक हिन्दू मतदात ही माने जाते हैं।

कब है मेरठ में चुनाव?

राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने चुनावी तिथियों की घोषणाओं के साथ ये तय कर दिया कि 7 चरणों में देश भर में चुनाव होगा। मेरठ में दूसरे चरण के चुनाव के समय मतदान होगा। दूसरे चरण के मतदान 26 अप्रैल को होने हैं। जबकि चुनावी परिणाम 4 जून को पूरे देश में एकसाथ ही आना है। चुनाव आयोग इस बार भी मतदान के लिए जनता के बीच पहुँच कर उन्हें जागरूक कर मतदान करने के लिए प्रेरित कर रही है। उम्मीद है इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ सकता है।।

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