Navratri Celebration महिलाएं लकड़ियों से क्यों पीटती हैं पुरुषों को… गणगौर माता के विसर्जन की परंपरा
Navratri Celebration शक्ति की आराधना की परम्परा के साथ पुरुष सहर्ष मार खाते हैं । दरअसल पुरुष वर्षभर पत्नियों पर गुस्सा करते हैं । इसलिए इस दिन पत्नियों को मिलता है यह अधिकार … । युवक टोली में आते हैं और एकाएक खम्बे पर टँगे गुड़ को निकालते हैं । महिलाएं पुरुषों की लकड़ियों से पिटाई करती हैं।
गणगौर माता का होता है विसर्जन
बागली अनुभाग के आदिवासी ग्राम परसपीपली में आदिवासी परम्परा अनुसार गणगौर माता के विसर्जन के साथ गुड़ तोड़ने की परम्परा ग्रामीणों द्वारा बनाई जाती है। इसमे लगभग 15 फिट ऊंचे खम्बे पर लाल कपड़े में गुड़ व नारियल बांधा जाता है। महिलाएं गणगौर माता की प्रतिमाओं को अपने सर पर रखकर पहले गांव में घूमती है। इस दौरान गांव के दुधमुंहे बच्चों को माताजी के सामने जमीन पर लेटाया जाता है। उन्हें लाँघ कर निकलने से बच्चे बीमार नही होते हैं। मान्यता है कि इससे बुरी आत्मा व नजर आदि से बच्चों का बचाव होता है।
गुड़ तोड़ने की परंपरा
परसपीपली गांव के मध्य में एक स्थान पर लगभग 15 फिट खम्बा गाड़ा जाता है। गणगौर माता के भृमण के दौरान सभी ग्रामीण गुड़ तोड़ने वाले स्थान पर एकत्रित होते हैं। महिलाएं इमली बेशरम सहित अन्य प्रकार के पौधों की लकड़ियां लेकर तैयार रहती हैं। वहीं गांव के पुरुष अलग अलग मार्ग से ढोल पर नाचते कूदते आते हैं। पुरुषों को बचाव हेतु टी आकार की लकड़ी मिलती है जिसे गेड़ी कहा जाता है। युवक टोली में आते हैं और एकाएक खम्बे पर टँगे गुड़ को निकालते हैं । महिलाएं पुरुषों की लकड़ियों से पिटाई करती हैं। जबकि पुरुष गेड़ी से अपने साथियों का बचाव करते हैं। कई लोगो को चोट भी लगती है । लेकिन परम्परा के उत्साह में पुरुष मार को सहर्ष स्वीकारते हैं। 5 बार अलग अलग दिशा से पुरुष टोलियों में आते हैं। आखिर में खम्बा ही उखाड़ कर ले जाते हैं। ओर फिर महिलाएं गांव की नदी में ज्वरो का विसर्जन करती है।
नवरात्रि में माता की आराधना
परम्परा अनुसार नवरात्रि में माता की आराधना के साथ घर की महिलाएँ प्रतीक स्वरूप पुरषों को लकड़ियों से मारती हैं। पति पत्नियों में वर्ष के मध्य पति महिलाओ को वर्षभर उनका मन दुखता है या अभद्र व्यवहार करता है। गुड़ तोड़ने की परंपरा अनुसार पत्नियां एक दिन की रानी होती है। और पतियों को पीटकर वर्षभर का उनका गुस्सा निकालती हैं। जिससे पति भी उत्साह से क्षमा मांगते हैं और उनकी पिटाई खा लेते हैं।
बागली में आदिवासी अंचल में गणगौर की पूजा
बागली अनुभाग में आदिवासी अंचल में गणगौर की पूजा बड़े भव्य स्तर पर गावों में होती है। बोरखलिया सहित अन्य गांवों में गणगौर के साथ गुड़ तोड़ने की परंपरा थी। लेकिन लड़ाई झगड़ों के कारण यह समाप्त हो गई। बागली अनुभाग में एक मात्र परसपीपली ग्राम में ही यह परंपरा जीवित है । और लोग उत्साह से इस त्यौहार को मनाते हैं।